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आज़ादी गुलामी सिलसिला "रात "रात और दिन "रात और दिन का फासला हूँ कितने खराब हो तुम सत्य के कितने कोण रंग अब्र के कितने ज़िन्दगी तेरे कितने रूप

Hindi और कितने दिन Poems